हरिवंश बोले, दलबदल विरोधी मामलों में फैसला स्पीकर को ही करना चाहिए

राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने शनिवार को कहा कि दलबदल विरोधी कानून के तहत किसी जनप्रतिनिधि को अयोग्य ठहराए जाने वाली याचिकाओं का फैसला करने के लिए अध्यक्ष से बेहतर कोई मंच नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि दल बदल की राजनीति ने देश के विकास की गति को धीमा किया है।


हरिवंश जयपुर में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा (राजस्थान विधानसभा) की ओर से आयोजित संगोष्ठी 'संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष की भूमिका' को संबोधित कर रहे थे। हरिवंश ने कहा कि मेरे विचार से, दी गई परिस्थितियों में, अध्यक्ष से बेहतर कोई मंच नहीं हो सकता है। अपेक्षित परिवर्तन इस तरह की याचिका के समयबद्ध निपटान का है। 

उन्होंने दलबदल-विरोधी कानून में कुछ और उपाय शामिल करने का सुझाव दिया जिसमें सभी दलबदलुओं का इस्तीफा लेकर नए सिरे से चुनाव करवाना, इस तरह जनप्रतिनिधियों के दोबारा चुने जाने पर उन्हें कोई मंत्री पद या लाभ का कोई पद नहीं दिया जाना, सरकार के गठन या सरकार के गिरने के मामलों में दल बदलू सदस्य का वोट नहीं गिना जाना और कार्यकाल के बाद चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा रखने वाले अध्यक्षों (स्पीकर) को राज्यसभा में भेजा जाना शामिल है।

उन्होंने कहा कि दूसरा बेहतर तरीका महात्मा गांधी के सिद्धांतों और नैतिकता का पालन करना होगा जिन्हें दुर्भाग्य से हमने सार्वजनिक जीवन में भुला दिया है। उन्होंने कहा कि अगर भारत सिलिकन वैली की तकनीकों से चलने वाली मौजूदा दुनिया में अलग मुकाम अलग जगह हासिल करना चाहता है तो हम सभी को गांधीवादी सिद्धांतों और मूल्यों का पालन करना चाहिए।

हरिवंश ने राज्यसभा सांसद के अयोग्य ठहराए जाने के मामले को 2017 से अदालत में लंबित होने का हवाला देते हुए कहा कि यह सीट अब भी खाली है क्योंकि अदालत का आदेश लंबित है। उन्होंने कहा कि 1967 से 72 के बीच पूरे देश में दलबदल के 2000 मामले हुए।